लेखनी प्रतियोगिता -31-May-2023 "जीने का सहारा मिल गया"
जिंदगी को किनारा मिल गया, देखो एक बार फिर से जीने का हौसला मिल गया।
अंधेरे में बंद होती पलकों को, जब जलता हुआ चरागों का उजाला मिल गया।।
साथ सब के संग चलने का मुझे, फिर एक सहारा मिल गया।
हसरतों से भरा मुझको, एक नादान परिंदा आकाश में फड़फड़ाता मिल गया।।
बड़ा दिलचस्प है ये मंजर, ख्वाइशों से भरा है ये दिल का जंगल।।
ख्वाहिशों से भरे दिल में, मुझको जुगनू सा चमकता एक सितारा मिल गया।।
मंदिर की सीढ़ी बैठा मासूम सा एक बच्चा, आंखें मूंदे दुआ मांगता।
ये देख कर मेरे अंदर का मासूम बच्चा, मुझमें विश्वास जगाता हुआ मिल गया।।
बड़ा नमकीन था इन आंखों का पानी, जब देखा समंदर को बहते।
तब आंखों का वो नमकीन पानी, शरबतों सा मेरे अंदर घुल गया।।
मधु गुप्ता "अपराजिता"
Punam verma
01-Jun-2023 11:46 PM
Very nice
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ऋषभ दिव्येन्द्र
01-Jun-2023 12:37 PM
बहुत खूब
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Madhu Gupta "अपराजिता"
01-Jun-2023 12:59 PM
बहुत बहुत शुक्रिया 🙏🙏आपका
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Abhinav ji
01-Jun-2023 08:44 AM
Very nice 👍
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Madhu Gupta "अपराजिता"
01-Jun-2023 08:53 AM
Thank you so much🙏🙏
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